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मुट्ठी में सिमटी है जो तकदीरें हमारी अरसे से की हाथों लकीरों को को धोना है बेटियां जलाई जा रही हैं हूँ हंसता जा रहा रहा हूँ जा टूटता

Hindi हाथों की लकीरों को तेरे नाम किये जा रही हूँ । Poems